Happy Holi 2020

Happy HOLI  Happy HOLI  2020 Holi की पांच प्रचलित कथाए ║ HOLI TIME 2020


नमस्कार दोस्तों ,

कैसे हे आप सब लोग  ?  पहले तो आप सभी को HAPPY HOLI   . इस HOLI  मे आज कुछ नया करते है दोस्तों।  इस HOLI  मे सीर्फ लकड़ियों को नहीं बल्कि  अपनी अंदर की बुराइयाँ और  अपने अंदर के जानवर को भी जलाये। जैसे हम लोग HOLI  के त्योहार मे अलग अलग रंगो के साथ खेलते है उसका मतलब यही है की अलग अलग लोग  जो हमारे देश मे है उन सब के साथ हमें मिल-जूल  कर रहना चाहिए।  इस HOLI  मे मैं  आप  सब लोगो को HOLI  की पौराणिक कथाओ के बारे मे बताऊंगा। जो बहुत ही प्रचलित है। HOLI  का यह पवित्र त्यौहार पौराणिक कथाओ पर आधारित है।  तो चलिए जानते है ऐसी ही चार कथाओ के बारेमे।  

कथाए पढ़  ने से पहले मे आपको HOLI का समय और तारीख बता देता हु।  

DATE OF HOLI -     9th  MARCH 2020

DAY                      -    MONDAY

TIME                   -     18:22 to 20:49

HOLI ENDS ON   -   10th MARCH 2020  

तो चलिए अब शुरू करते है इसके पीछे की रसप्रद कथाए : - 
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कथा - : -
तो चलिए जानते है HOLI  की सबसे प्रचलित कथा।  प्राचीन काल मे हिरण्यकश्यप नाम का राजा था।  हरिण्यकश्यप बहुत ही अहंकारी और अत्याचारी  राक्षस  था।  वो ब्रह्माजी का बड़ा भक्त था। उसने भगवान ब्रह्मा से वरदान ले लिया था की उसे पृथ्वी पर रहते देवी - देवता , राक्षस , मानव और कोई भी प्राणी मार ना पाए  और ना ही वो धरती पर मरे ना ही आकाश मे और नाही  कोई शास्त्र उसे मार सके। यह वरदान पाकर वो  बहुत ही निरंकुश बन बैठा था। और देवताओ और मनुष्य के ऊपर कभी अत्याचार भी करने लगा था    हिरण्यकश्यप का एक बेटा भी था जिसका नाम प्रह्लाद था।  प्रह्लाद विष्णु भगवान का बड़ा भक्त था।  पर हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद की ये भक्ति पसंद नहीं थी।  हिरण्यकश्यप  अपने आपको ही बड़ा भगवान  समझता था।  और वो अपने बेटे को विष्णु भगवान की भक्ति बंद करके खुदकी पूजा करने के लिए कहता  था।  जो की प्रह्लाद ऐसा नहीं करना चाहता था।  तो हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को कई बार मारने  की कोशिश की। लेकिन प्रह्लाद के ऊपर  विष्णु भगवन की बड़ी कृपा थी।  इसलिए प्रह्लाद काफी बार बच चूका था।  हिरण्यकश्यप की एक बहन भी थी।  जिसका नाम होलिका था।  और भगवान  ने होलिका को अग्नि मे ना जलने का वरदान दिया हुआ था। वरदान के रूप मे उसको एक चादर  मिली हुई थी जो की अग्नि मे ना जल पाए।  इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन को प्रह्लाद को मारने  के लिए कहा।  हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रह्लाद को अपनी गोदी  मे लेकर अग्नि मे बैठ गयी और अपनी चादर पहन ली।  लेकिन वो  चादर वायु के वेग के कारण उड़कर प्रह्लाद के ऊपर जा कर गिरी। उसकी बजह से होलिका अग्नि मे  जल गयी। और प्रह्लाद बच गया। इस प्रकार होलिका अग्नि मे  जल गयी और वहा से लोग HOLI  का त्यौहार मानाने लगे।


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तत्पश्च्यात भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मारने  की योजना बनाई।  भगवान  विष्णु हिरण्यकश्यप को मारने के लिए नरसिंह का अवतार लिया और वो खंभे से निकल कर गोडली  समय पर ( गॉडली समय मतलब सुभे और शाम के समय के बिच का  संधिकाल ) दरवाजे के ऊपर बैठ कर हिरण्यकश्यप को मार  दिया। तभी से लेकर अबतक हम सब लोग  HOLI  का त्यौहार मनाने लगे।  और  अपने आसपास की बुराइओं को जलने के लिए हम HOLI  की पूजा करते है।  तो दोस्तों , हमारी पहली कथा यहाँ पर ही ख़तम होती है।  चलिए हम दूसरी कथा की ओर  चलते है।

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कथा : -
दूसरी कथा राधा और कृष्णा की है।  तो चलिए जानते है राधा और कृष्ण  की कथा के बारे मे जानते है।  यह HOLI  का त्यौहार राधा और  कृष्णा की पावन  प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है।  बसंत के मौसम में वृंदावन और नंदगाव  की लठमार HOLI   इसीलिए बहुत प्रसिद्ध  है। मथुरा  और वृन्दावन की HOLI  बहुत प्रसिद्ध  है। इस कृष्णा और राधा की प्रेम कहानी से ही यह त्यौहार प्यार का त्योहार गिना जाता है।  HOLI  सामाजिक बंदिशों जैसे की द्वेष , धृणा , अहंकार सबको मिटा देती है।  इस दिन सब भेदभाव भूल कर एक दूसरे पे प्रेम का रंग लगाते है। कही जगहों पर HOLI  का त्योहार करीब एक हप्ते तक चलता है।  और रंगपंचमी पर ख़तम होता है। तो दोस्तों हमारी दूसरी कथा भी यहाँ पर ख़तम होती है। चलिए चलते है अब हमारी तीसरी कथा की और। भगवान श्री कृष्ण की और दो कथाए प्रचलित है जो चलिए जानते है ऐसी और दो कथाए श्री कृष्ण की।  


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PUTNA

कथा : - 

माना जाता है कि  कंश नाम का एक राजा था।  जिन्होंने अपनी ही बहन देवकी के पति वासुदेव  राज्य को अपने कब्जे मे कर लिया था।  और उन्होंने दोनों को बंदी बना लिया था।  उस  वक्त  एक आकाशवाणी हुई थी और आकाशवाणी मे बताया गया था कि  वासुदेव का ८मा संतान ही कंश का वध करेगा।  इसलिए कंश ने सभी बच्चो का वध कर दिया।  लेकिन वासुदेव कृष्णा को लेकर मथुरा चले गए और वहा से यसोदा की बच्ची को ले आये। कंश ने उस बच्ची का भी वध कर दिया लेकिन बादमे कंश को पता चला की कृष्ण जिन्दा है।  तो उन्होंने कृष्णा को मारने के लिए राक्षशी पूतना को बताया।  राक्षशी पूतना कोई भी रूप धारण कर सकती थी। राक्षशी पूतना ने भगवान श्री कृष्ण को मार ने के लिए एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण किया और श्री कृष्ण को दूध पिलाना चाहा। लेकिन भगवान श्री कृष्ण को इस बात का पता चल गया।  और उन्होंने राक्षशी पूतना का वध कर दिया। लेकिन श्री कृष्ण ने उसका ज़हर पि लिया था। यह फागुन पूर्णिमा का दिन था।  इसलिए  बचपन मे पूतना राक्षशी के द्वारा ज़हरीला दूध पिलाने के कारन श्री कृष्णा का रंग गहरा नीला हो गया था।  इसलिए भगवान श्री कृष्णा अपना रंग अलग महसूस करने लगे।  और यही बजह से उनको लगने लगा की अब राधा और गोपिया उसे पसंद नहीं करेगी।  भगवन श्री कृष्ण की परेशानी देखकर माता यशोदा ने कहा की उसे जो रंग राधा को लगाना है वो लगा सकते है। और माता की सलाह मानकर भगवान श्री कृष्णा ने राधा को अपने रंग मे  रंग दिया। इस लिए फागुन पूर्णिमा के दिन पूतना के वध करने पर भी HOLI  मनाई जाती है और  इस प्रकार श्री कृष्ण और राधा की अलौकिक प्रेम कहानी शुरू हुई।  और इस तरह HOLI  का त्यौहार मनाया जाता है। 

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कथा - : - 

राक्षशी डुंडी की भी एक कथा प्रचलित है।  पृथु नाम के  एक राजा थे उसके राज्यमे डुंडी राक्षशी ने काफी आतंक फैला रखा था और राजा पृथु को काफी परेशान किया था।  राक्षशी डुंडी ने काफी तपस्या करके कई भगवान को खुस कर दिया था।  इसलिए देवताओ की और से उसको कई वरदान भी मिले थे।  देवताओ ने उसे वरदान दिया था की   मनुष्य  , देवता , जिव -जंतु , जानवर आदि कोई भी उसे मर सके। और गर्मी , वर्षा , सर्दी  कुछ भी उसे मार ना पाए। इसके चलते राक्षशी डुंडी का आतंक काफी बढ  चूका था। लेकिन भगवान शिव ने उसे एक श्राप दिया था। वो श्राप के कारन वो बच्चो से काफी परेशान होती थी।  राजा पृथु राक्षशी डुंडी का आतंक मिटाने के लिए पुरोहित से जाकर मिले।  पुरोहित ने समस्या को  गंभीर रूप से   लिया और उसका एक मार्ग निकाला। उन्होंने समजाया की यदि फागुन मा के दिन नहीं सर्दी  होगी और नहीं गर्मी  और उस वखत सब बच्चे अपने घर से निकल कर लकडिया और घास - फुस इकठा कर दे।  घास - फुस इकठा कर कर सब बच्चे उसे एक चौराहे पर ले जाये और उसे एकसाथ इकठा कर के जला दे और ढोल नगरा ले कर उसे जोर जोर से बजाये।  और चौराहे पर अग्नि की प्रदक्षिणा करे और जोर जोर से तालिया बजाये और मंत्र का जोर से उचारण करे। उसकी बजह से राक्षशी मर जाएगी।  रााजा पृथु ने पुरोहित की आज्ञा का पालन करते हुआ ऐसा ही किया और जैसे ही डुंडी बच्चो के सामने आयी तो बच्चे जोर जोर ढोल बजाकर उसे अग्नि की तरफ ले गए। सब बच्चे उसके ऊपर कीचड़ , लकडिया , घास फेकने लगे और जोर जोर से गीत गाने लगे।  इसके चलते राक्षशी डुंडी जल गयी। और राजा पृथु के राज्य मे हर्सोउल्लास मनाया गया।  और राक्षशी डुंडी का दहन करने के चलते सब लोग ढोल बजाकर  संगीत गा कर HOLI  का त्यौहार मानाने लगे।  
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कथा - ५  : - 


तीसरी कथा भगवान शिव और उनकी पत्नी पारवती के प्यार के ऊपर भी है।  पारवती को हिमालय पुत्री भी कहा जाता है।  पारवती भगवान शिवजी से काफी प्रभावित थी और उनको सच्चा प्यार करती थी।  पारवती भगवान शिव से शादी करने के लिए काफी उत्शुक थी।  लेकिन तब भगवान शिव तपस्या मे लीन थे।  तब कामदेव ने एक बाण चला कर भगवान शिव की तपस्या तोड़ दी। इसलिए भगवान शिव को कामदेव के ऊपर काफी गुस्सा आया।  और उन्होंने कामदेव को अग्नि मई जला दिया।  लेकिन तब कामदेव की पत्नी रति काफी रोने लगी थी। रति के आक्रन्द से भगवान शिव का गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने रति के पति कामदेव को जिन्दा किया।  और पारवती के साथ शादी कर ली।  इसी के चलते HOLI  का त्यौहार वासना के विपरीत प्यार के लिए मनाया जाता है।  इस HOLI  के त्यौहार मे  लोग चन्दन की लकडिया डालते है क्युकी कामदेव को जलते समय चन्दन की लकड़ियों के बजह से पीड़ा कम  हो।  

धन्यवाद दोस्तों , आशा है की आप लोगो को ये Article बहुत पसंद आया होगा।  तो दोस्तों इस होली मे आप सभी अपने भेदभाव भूलकर लोगो के साथ हसी खुसी ये रंगो का त्यौहार मनाए।  और मे  आशा करता हु की इस  त्यौहार के बाद होलि मे आप सभी के दुःख दूर हो जाए और आप सभी के जीवन मे ढेर सारी खुशिया आये। तो ऐसी और जानकारिओं के लिए पढ़ते रहिये MYDIARIES . अगर आपको पसंद आया हो तो शेर जरूर करना ताकि दुसरो को भी पता चले।   


HAPPY HOLI
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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